राफेल डील की रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट आज कर सकता है सुनवाई

नईदिल्ली । फ्रांस के साथ हुए राफेल फाइटर जेट डील पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई होगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जनवरी में राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में सरकार को क्लीन चिट दिए जाने के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. इस मामले में पहले फैसला दे चुके तीन जज, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस केएम जोसफ और संजय किशन कौल सुनवाई करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट बीते 26 फरवरी को इस पुनर्विचार याचिका और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राजी हुआ था. यह सुनवाई खुली अदालत में होगी. वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की गुजारिश की थी.
सरकार ने राफेल डील पर आए फैसले में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी दायर की थी. इसमें कहा गया है कि कोर्ट ने अपने फैसले में कैग और पीएसी का जिक्र किया था, टाइपिंग में हुई कुछ गलतियों के कारण उसकी गलत व्याख्या की जा रही है. इसलिए कोर्ट से अपील की जाती है कि अपने फैसले में कैग रिपोर्ट और पीएसी को दोबारा से स्पष्ट करें.
दरअसल, सरकार ने पहले कोर्ट में बताया था कि राफेल की कीमत और बाकी डिटेल कैग और पीएसी के साथ साझा किए गए हैं. कैग और पीएससी में जानकारियों की समीक्षा की गई थी. जिसकी रिपोर्ट भी बाद में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा गया. जबकि कोर्ट में दायर अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा कि उसने सिर्फ रिपोर्ट और रिपोर्ट दर्ज करने के प्रोसेस का हवाला दिया था. कांग्रेस अब इसी को आधार बनाकर बीजेपी को घेर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में हुई सुनवाई के बाद राफेल सौदे पर मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी थी. कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच 23 सितंबर 2016 को हुए राफेल विमान सौदे के खिलाफ दायर जांच संबंधी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर शक करने की कोई वजह नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है.
सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी. सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, इस प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई ज़रूरत नहीं है. हम सरकार को 126 जेट खरीदने पर बाध्य नहीं कर सकते. साथ ही इस मामले के सभी पहलुओं की जांच कोर्ट की देखरेख में कराना सही नहीं होगा.

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